Nजीवन को खुशहाल बनाओ
क्यों रोते हो दुख को केवल
गीत यहाँ बस सुख के गाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
मिलता है दुख, दुख गाने से
घट जाता दुख समझाने से *
करो नज़रंदाज़ इसे बस
मत इसके तुम भाव बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
आती हैं सुख की भी घड़ियाँ*
हँसी खुशी की बन फुलझड़ियाँ
यादों का घर एक बनाकर *
उसमें पल ये सभी सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
मृगतृष्णा को तुम मत पालो
मन में धन संतोष कमालो
चार दिनों का जीवन है ये
हर पल का आनन्द उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
क्या माटी क्या होता सोना*
पड़ता यहाँ बहुत कुछ खोना
कर्म करो, फल की मत सोचो
आगे आगे बढ़ते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
महल बनाओ तुम सपनों का
हाथ थाम लो बस अपनों का
ऊँची भरो उड़ाने इतनी
नाम जगत में तुम कर जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
बना बना कर सुंदर क्यारी
सजती जीवन की फुलवारी
नेह नीर से इन्हें सींचकर
रिश्तों के तुम फूल खिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
20-10-2021
डॉ अर्चना गुप्ता