जीवन के रंग #100 शब्दों की कहानी#
रंगबिरंगा त्यौहार मनाने की उत्सुकता सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को रहती है । रंगों से सराबोर माहोल में छोटी सी पूजा को भी रंगभरी पिचकारी, गुब्बारों से खेलने का बेसब्री से मन हो रहा, पर खेले कैसे? मन मसोस कर रह गई । पापा तो रंग-पिचकारी-गुब्बारे लाना तो भूल गए, उन्हें पसंद जो नहीं था ।
दोस्त ने कहा “आज दिल ना दुखाओ बच्ची का उसकी पसंद ही तो हमारी भी पसंद है न “? पूजा ने पहली बार रंग-पिचकारी-गुब्बारे लेकर सबके साथ रंग दिया पापा को, अपने मनमोहक रंगों से ।” यही जीवन के रंग यादगार-पल हैं ।