*वफ़ा मिलती नहीं जग में भलाई की*
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
*निर्बल-असहाय अगर तुम हो, ईश्वर का प्रतिदिन ध्यान धरो (राधेश
आज़ मैंने फिर सादगी को बड़े क़रीब से देखा,
गद्य के संदर्भ में क्या छिपा है
हम हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान है
सब कुछ हार जाओ आप इस जिंदगी में।
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
प्यासा के कुंडलियां (दारू -मदिरा) विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Believe in yourself because you have the power
चाहत थी कभी आसमान छूने की
ग़ौर से ख़ुद को देख लो तुम भी ।