जीवन के आयाम
चोरी मक्कारी ठगी,झूठ सुबह से शाम!
बदल गये क्या वाकई,जीवन के आयाम!
देख सुदामा मीत को , नजरे फेरें श्याम !
बदल गये इस दौर में,जीवन के आयाम !!
राधे-राधे कर रहा, ..गली-गली बदनाम !
बदल लिए जिस संत ने,जीवन के आयाम !!
रमेश शर्मा.
चोरी मक्कारी ठगी,झूठ सुबह से शाम!
बदल गये क्या वाकई,जीवन के आयाम!
देख सुदामा मीत को , नजरे फेरें श्याम !
बदल गये इस दौर में,जीवन के आयाम !!
राधे-राधे कर रहा, ..गली-गली बदनाम !
बदल लिए जिस संत ने,जीवन के आयाम !!
रमेश शर्मा.