जीवन के अध्याय
जीवन के अध्याय (वीर रस )
जीवन मानव मानस चरितम,एक -एक से हैं अध्याय।
सुख -दुख जीवन-मरण यशामृत,इसमें लिखा न्याय-अन्याय।
लाभ-हानि- अपयश-ईर्ष्या के,एक-एक पन्ने को देख।
इसमें अक्षर-मच्छर-निशिचर,पढ़ते जाना लेख-सुलेख।
काम-क्रोध -मद-लोभ भरे हैं,काया-माया का उपभोग।
अर्थवाद का भूत नाचता,मानव करे भोग का योग।
धन का चक्कर भूमि हड़पना,लोगों का है असली काम ।
सीना ताने अपशब्दों से,सच्चा जीवन आज हराम।
अध्यायों की लम्बी सूची,इसमें साधु-संत का गान।
दूषित भावों के जंगल में, दिखते लड़ते कटु शैतान।
जीत-हार में वाक्य लगे हैं,जश्न-विषाद यहाँ का खेल।
कोई मस्त गीत लिखने में,कोई रोता जाते जेल।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।