जीवन की सच्चाई
चलो आज लिखते है ,जिदगी की किताब
क्या खोया क्या पाया करते है हिसाब!
चलो गिनती करते है ,कितने टुटे है ख्वाब
कितने बिछड़े अपने,कितने हुए बेनकाब!
थाम कर रखा किसने वक्त पडने पर हाथ मुश्किल राहो पर भी किसने निभाया साथ!
कितनी आशाये टुटी, कौन रोया था तेरे संग
हसता तुझको देख, किसका उडा था रंग !
ठंडी ठंडी आहे भर के,कटती रही लंबी राते
कोन ऐसा सक्स था ,जो कर गया था घाते!
टुटे सपने घायल आसु सिसकिया है अंत
सासे जब तक ना थमे ,नही जीवन का अंत ।?