जीवन की रेलगाड़ी
जीवन रेलगाड़ी की तरह होता है
कभी एक ही स्टेशन पर खड़ा होता है
कभी तेज़ स्पीड से भाग रहा होता है
कभी हर स्टेशन पे रुक रहा होता है
कभी लगेगा ….
साथ बैठा मुसाफिर हमेशा साथ निभाएगा
कभी वो अगले स्टेशन पर ही उतर जायेगा
कभी कोई बस एक स्टेशन के लिए आता
पर जिंदगी भर के लिए यादें छोड़ जाता
किसी के साथ हम खाने का लुत्फ़ उठाते
तो कभी किसी पर शक ही किए जाते
कभी किसी के सामने दिल खोल देते
और कभी चुप्पी धर कुछ ना बोलते
किसी के संग सफ़र मज़े में गुजर जाता
और कभी-कभी तो सफ़र काटे ना कटता
कभी किसी का नंबर हम यों ही मांग लेते
और कभी बस दूर से राम राम करते
ये जिंदगी रेल की माफिक चलती रहती
हर स्टेशन पर मुसाफ़िर बदलती रहती
ना मालूम कब कौन हम सफ़र बन जाए
और कौन अगले स्टेशन पर उतर जाए
जिंदगी तो रेल सी गुज़रती रहेंगी
तुम मज़े करो या ना करो चलती रहेगी
बेहतर है हर स्टेशन का मज़ा लीजिए
कब कौन उतरेगा ये कभी मत सोचिए
दीपाली अमित कालरा