जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
हर कोई है परेशान हर तरफ़….
उलझनों में घिरा है हर इंसान
पर अलग – अलग हैं सबब!
हैं ये तात्कालिक जरूरतें ही
मिलना है सबको एक दिन
किसी ख़ास ही जगह !
हे मनुज, क्यों है परेशान
जान लो न तुम वजह !!
…. अजित कर्ण ✍️