जीवन का सार
**जीवन का सार**
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे,
किसी को रुला कर हंसे तो क्या हंसे।
जीवन का असली मकसद है कुछ और,
दूसरों की खुशियों में खुद को समेटें तो क्या बसे।
थोड़ा और जीवन जीने का सलीका सीखें,
अपनी मुस्कान में किसी और का दर्द मिटाएं।
दूसरों की आँखों में खुशी का सपना देखें,
तब ही अपने जीवन को सच्चा अर्थ दिलाएं।
जो रोते को हंसी दे, वही सच्चा इंसान,
जो गिरते को संभाले, वही सच्ची पहचान।
जिनके दिल में दूसरों के लिए हो जगह,
वही इंसान सच्चे मन का होता महान।
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे,
किसी को रुला कर हंसे तो क्या हंसे।
थोड़ा और जीवन जीने का रास्ता अपनाएं,
दूसरों की राह में रौशनी फैलाएं, तो क्या बसे।
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