Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2024 · 1 min read

जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,

जीवन का एक ही संपूर्ण सत्य है,
हमारे ख़ुद का वजूद बस ख़ुद से है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

1 Like · 17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
शेखर सिंह
माया और ब़ंम्ह
माया और ब़ंम्ह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
अच्छी यादें सम्भाल कर रखा कीजिए
अच्छी यादें सम्भाल कर रखा कीजिए
नूरफातिमा खातून नूरी
यौवन रुत में नैन जब, करें वार पर  वार ।
यौवन रुत में नैन जब, करें वार पर वार ।
sushil sarna
.
.
*प्रणय प्रभात*
"झाड़ू"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िम्मेवारी
ज़िम्मेवारी
Shashi Mahajan
नाम दोहराएंगे
नाम दोहराएंगे
Dr.Priya Soni Khare
ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਗਲਿਆਰੇ
ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਗਲਿਆਰੇ
Surinder blackpen
पश्चिम का सूरज
पश्चिम का सूरज
डॉ० रोहित कौशिक
उफ़ ये बेटियाँ
उफ़ ये बेटियाँ
SHAMA PARVEEN
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
सिद्धार्थ गोरखपुरी
(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !
(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !
Kishore Nigam
चल अंदर
चल अंदर
Satish Srijan
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
कवि रमेशराज
तुम्हारे
तुम्हारे
हिमांशु Kulshrestha
मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
Pramila sultan
जीवन जितना होता है
जीवन जितना होता है
Dr fauzia Naseem shad
इंसानियत
इंसानियत
साहित्य गौरव
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Quote..
Quote..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सागर ने भी नदी को बुलाया
सागर ने भी नदी को बुलाया
Anil Mishra Prahari
महाकवि नीरज के बहाने (संस्मरण)
महाकवि नीरज के बहाने (संस्मरण)
Kanchan Khanna
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अंजान बनकर चल दिए
अंजान बनकर चल दिए
VINOD CHAUHAN
" बंदिशें ज़ेल की "
Chunnu Lal Gupta
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
पूर्वार्थ
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (3)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (3)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...