जीवन उत्साह
36 की उम्र तक आते-आते
36 सौ जगह घुमा
36 सौ प्यार मिला
36 सौ से 36 के आंकड़े रहे
36सौ उतार चढ़ाव आए
36 सौ अवसर आए
36 सौ दिन गुजर
36 सौ रातें गुजरी
36 सौ सुनहरे सपने
36 सौ बार आंखों ने देखे
36 सौ बार हार के जीते
36 सौ बार जीत कर हारे
36 सौ कोशिश जारी रखी
36 सौ कामयाब हुए
पर अपने दृष्टी में जो सृष्टि के प्रति दृष्टिकोण बनाया है
उसमें अडिग है
हम नीर धरा के
हम ही क्षितिज है
हम हैं बसंत
और हम ही पतझड़ है
हम हैं उमंग
और हम ही गम है
हम हैं तरंग
और हम ही उत्सव है
सुशील मिश्रा( क्षितिज राज )