जीवन अनमोल है।
गहन वन में खड़ा हूं अकेला,
दिख नहीं रही है भोर की बेला,
चारों तरफ कैसा यह विष फैला,
प्रेम स्नेह का नहीं जग में मेला,
जब अपने भी हो जाए गैर,
किस से रखें फिर हम यूं बैर,
मान लिया यह समय का फेर,
गुजर जाएगा अभी हुई न देर,
मत सोच कि तू दुःख से हारा,
चलता चल तू मिलेगा सहारा,
बहुत बड़ा है यह जहां सारा,
जीवन अनमोल है हमारा,
चाहे संकट हो कितना भारी,
फिर भी संघर्ष रहेगा जारी,
यह जिंदगी की कठिन पारी,
धीरे से गुजर जाएगी सारी,
समय रहता नहीं कभी समान,
धैर्य धारण कर तू बन धैर्यवान,
छंट जाएगा काला आसमान,
फिर से आएगी तेरी मुस्कान,