*जीने न दें दो नीले नयन*
जीने न दें दो नीले नयन
********************
जीने न दें दो नीले नयन,
नींदें हरें दो नीले नयन।
नभ में उठा ये कैसा धुंआ,
क्यों धुंधले दो नीले नयन।
पायल बजे पैरों में डली,
हीरे जड़े दो नीले नयन।
पलकें भरी आँसू से सनी,
भीगे हुए दो नीले नयन।
गम का प्याला पूरा भरा,
पीने न दें दो नीले नयन।
है दर्मियां मनसीरत खड़ा,
जाने न दें दो नीले नयन।
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)