मंजिल
राहें कितनी भी मुश्किल हो
फिर भी मंजिल को पाना है।
हौसलो के चिरागों को जलाकर
आगे बढते जाना है।
रुकावट तो आती है
आएगी ही, पर
हर रुकावट को पार कर
इरादों की गठरी को बांधकर
मंजिल तक पहुंचाना है।
राहें कितनी भी ………….
अंधेरा तो छाता है
छाएगा ही, पर
आशाओं के दीपक जलाकर
अंधेरी राहों को चीरकर
अंधेरे को भगाना है।
राहें कितनी भी …………..
असफलता तो मिलती है
मिलेगी ही, पर
इरादों को मजबूत बनाकर
दिल में जीत को ठान कर
हर हार को जीत जाना है।
राहें कितनी भी मुश्किल हो
फिर भी मंजिल को पाना है।