जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
ऐसा सिक्सर मारेंगे हम
बुरे वक्त पे साथ ना देते
कितने लोग निराले हैं
अगर अंधेरा साथ खड़ा है
साथ छीनने वाले हैं
सभी चमक के संगी-साथी
अक्सर ही दिख जाते हैं
हमने देखा खंडहर के तक
ईंट उठा ले जाते हैं
इन सब बातों में पड़ दौड़ न अपनी हारेंगे हम
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
गम की आंधी आएगी पर
दीपक सा जलते जाना
गिरकर उठना संभल संभल के
राहों में चलते जाना
लोग कहेंगे कर पाओगे?
मूक बने गुनते जाना
कर्तव्यों के निर्वहन से ही
अपनी मंजिल को पाओगे मतलब छप्पर फाड़ेंगे हम
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
किसने कितने जतन किए हैं
किसने कितनी रातें काटी
कौन तपा है जीवन में कब
दुनिया ने कब आहें बांटी
माना सिर पे मौत खड़ी है
पथ पे मुश्किल बहुत बड़ी है
कांटों पे भी चलना होगा
धीरज रख कर लड़ना होगा तभी विजय को धारेंगें हम
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
अनिल कुमार निश्छल