जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता ह
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता है ! मनुष्य का स्वभाव भी ठीक उसी की भांति है, जिस भी मत, विचार या परिस्थिति के अनुसार उसका बौद्धिक विकास होता है वह उसी के अनुरूप ढल जाता है