जिस तन पे कभी तू मरता है…
जिस तन पे कभी तू मरता है…
उसी तन का साथ छोड़ देता है!
बढ़ती उम्र से नफ़रत जो करता है,
रूह से प्यार क्यूं नहीं तू करता है!
…. अजित कर्ण ✍️
जिस तन पे कभी तू मरता है…
उसी तन का साथ छोड़ देता है!
बढ़ती उम्र से नफ़रत जो करता है,
रूह से प्यार क्यूं नहीं तू करता है!
…. अजित कर्ण ✍️