जिस आँगन में बिटिया चहके।
(तोटक छंद आधारित गीत)
मापनी-112 112 112 112
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जिस आँगन में बिटिया चहके।
नित फूल खिले बगिया महके।
तितली बन के उडती-फिरती।
घर- स्वर्ग बना खुशियाँ भरती।
ममता निज आँचल में भरके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
घर द्वार जहाँ बिटिया हरसे।
तब भाग्य खुले लछमी बरसे।
शुभ दायक पायलिया छमके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
यह शीतल,कोमल,पावन है।
हर रूप बड़ा मनभावन है।
सुर छंद सजे कविता बनके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
बिटिया अब रौशन नाम करे।
उपकार भरा सब काम करे।
बन चाँद-सितार सदा दमके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
धरती सम धैर्य कला रखती।
नित जीवन जोत जला रखती।
अपमान सभी सहती हँसके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली