जिसका जाना तय होता है
जिसका जाना तय होता है
रुकता नहीं चला जाता है ।
मृत्यु के हाथों जीवन को
सौ -सौ बार छला जाता है ।।
कौन रहा है यहाँ हमेशा
सबको तो एक दिन जाना है ।
ये दुनिया बहती धारा है
बहता जीवन ही पाना है ।।
सांसों का अंबार बर्फ सा
हर पल स्वतः गला जाता है …
जो वश में मृत्यु कर बैठे
काल बली ने उनको खाया।
यहां सदा रहने का कोई
उनका तिकड़म काम न आया ।।
उगते सूरज को ही देखो
वक़्त के साथ ढला जाता है …
– सतीश शर्मा , नरसिंहपुर