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7 May 2022 · 1 min read

*जिसका कभी न क्षय हो (भक्ति-गीत )*

जिसका कभी न क्षय हो (भक्ति-गीत )
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
जिसका कभी न क्षय हो ,ऐसी वस्तु खोजकर लाएँ
(1)
सोने के आभूषण ,जो भी हम खरीद कर लाते
सौ-पचास वर्षों में वह सब आभूषण गल जाते
सोने-चाँदी-हीरे को ,अक्षय किस तरह बताएँ
(2)
शादी होती है जीवन में , अच्छी बात सही है
किंतु शादियों का बंधन भी शाश्वत हुआ नहीं है
इससे पहुँच कभी हम ,जीवन के उस पार न पाएँ
(3)
अजर अमर अविनाशी ,वह जो भीतर-बाहर रहता
जिसका अंत नहीं है ,पावन परम ज्ञान यह कहता
निराकार केवल उस ,अक्षय का ही ध्यान लगाएँ
जिसका कभी न क्षय हो, ऐसी वस्तु खोजकर लाएँ
————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451

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