***जियो जीने दो***
जब से जियो का उदय हुआ है,
संचार क्षेत्र मे कोहराम मचा है।
सिर अबांनी का हुआ ऊचा,
एरटेल का तख्त उखडा पडा है।
पहले तो नाम बदलाना पडा है,
पापा जीयो,चाचा जियो जडा है।
पहचान का नया फेशन आया,
हमें जियो के सरनेम ने जकडा है।
सरेशाम बेटा भी फोन लिए पडा है,
खाना पीना सब छोडछाड खडा है।
करता धरता कुछ नही ऊलू सा,
जुगाड रिचार्ज मे चितिंत सडा है।
घर का काम सारा बाकी पडा है,
लक्ष्मी के हाथ ने फोन जकडा है।
खाने पीने की कोई सुध नही,
बातो का सिलसिला चल पडा है।
अब हर कोई घर मे सडा पडा है,
बाहर से कनेक्शन कटा पडा है।
धोक,नमन सब भूल चुके है,
बाबू अभी तो डेटा बाकी पडा है।
©®तूलिकार
✍️प्रदीप कुमार”निश्छल”