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8 Jan 2018 · 1 min read

जिन्दा सरोधा

जिन्दा सरोधा
“””””””””””””””””””””
मै फरेबी धुन्ध की
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वह छोर खोजा हूँ ।
________________
जन्म से
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रहने लगा मै
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पाक रोजा हूँ ।
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झप रही
________
पलकें उठाकर
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देखने से घूरकर ।
________________
दिन उगाने
__________
भोर कलशे
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चौक धर दी पूरकर
_________________
जबं देती
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दृष्टि का
________
जिन्दा सरोधा हूँ ।
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एक अन्दर
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शक्ति तेर
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खून मे भी ज्वार मेरे
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देह से
_______
उठती तरंगे
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फैलकर देती उजेरे
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काट तुम
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देती किरन
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पडिंत पुरोधा हूँ ।
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@सर्वाधिकार
_______________
सुरक्षित
_______________
विनय पान्डेय
“”‘””””””””””””””””””””””””””””

Language: Hindi
Tag: लेख
333 Views
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