जिन्दगी
अनुकूल प्रतिकूल अनुभवों की कसौटी है जिन्दगी।
आम के जैसी खट्टी-मीठी-चटपटी है जिन्दगी।
श्रेष्ठता पूर्ण तो कभी बुराइयों के अनगिनत छिद्र-
घट-छलनी के जैसी अनोखी अटपटी है जिन्दगी।
-लक्ष्मी सिंह
अनुकूल प्रतिकूल अनुभवों की कसौटी है जिन्दगी।
आम के जैसी खट्टी-मीठी-चटपटी है जिन्दगी।
श्रेष्ठता पूर्ण तो कभी बुराइयों के अनगिनत छिद्र-
घट-छलनी के जैसी अनोखी अटपटी है जिन्दगी।
-लक्ष्मी सिंह