* जिन्दगी में *
** गीतिका **
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जिन्दगी में हर समय है मुस्कुराना।
चाहतों को चाहिए बस खिलखिलाना।
आज दरवाजा खुला है ताजगी है।
बंद अनुभूति बना देगी दिवाना।
आंख में गहरा समुंदर छलकने दो।
चाहता कोई इसीमें डूब जाना।
हाथ से किवाड़ को पकड़े रखो बस।
है सलीके से बहुत खुद को सजाना।
खत्म हो जाए न जल्दी ही प्रतीक्षा।
रूप यौवन चाहता मन में समाना।
मन खुशी से झूम उठता है सहज ही।
लक्ष्य पर जब खूब लगता है निशाना।
क्यों दिवारों मे बिताएं जिन्दगी को।
जिन्दगी में चाहिए कुछ कर दिखाना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २०/०३/२०२४