Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2023 · 1 min read

जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि

जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि वे आपके जुनून के पथ par हल्ला करने आ जाएँ,
आपके हिम्मत तथा कर्मठ आचरण के आगे तो स्वयं विधाता भी आपको पुरस्कृत किए बिना मुँह नही फेर पाएँगे।

1 Like · 321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
श्रेष्ठ भावना
श्रेष्ठ भावना
Raju Gajbhiye
दरमियाँ
दरमियाँ
Dr. Rajeev Jain
*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Manisha Manjari
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
Shweta Soni
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कौन याद दिलाएगा शक्ति
कौन याद दिलाएगा शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
झुक कर दोगे मान तो,
झुक कर दोगे मान तो,
sushil sarna
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
surenderpal vaidya
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
Subhash Singhai
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
Harminder Kaur
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
Rajesh Kumar Arjun
सुंदरता विचारों व चरित्र में होनी चाहिए,
सुंदरता विचारों व चरित्र में होनी चाहिए,
Ranjeet kumar patre
// दोहा ज्ञानगंगा //
// दोहा ज्ञानगंगा //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुछ देर तुम ऐसे ही रहो
कुछ देर तुम ऐसे ही रहो
gurudeenverma198
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
کوئی تنقید کر نہیں پاتے ۔
Dr fauzia Naseem shad
निश्छल प्रेम
निश्छल प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
साड़ी हर नारी की शोभा
साड़ी हर नारी की शोभा
ओनिका सेतिया 'अनु '
अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
Umender kumar
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
चंद सिक्के उम्मीदों के डाल गुल्लक में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कब भोर हुई कब सांझ ढली
कब भोर हुई कब सांझ ढली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कोई बिगड़े तो ऐसे, बिगाड़े तो ऐसे! (राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और संस्मरण) / MUSAFIR BAITHA
कोई बिगड़े तो ऐसे, बिगाड़े तो ऐसे! (राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और संस्मरण) / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
विकास की जिस सीढ़ी पर
विकास की जिस सीढ़ी पर
Bhupendra Rawat
If you have believe in you and faith in the divine power .yo
If you have believe in you and faith in the divine power .yo
Nupur Pathak
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
कवि दीपक बवेजा
सुबह का प्रणाम। इस शेर के साथ।
सुबह का प्रणाम। इस शेर के साथ।
*प्रणय प्रभात*
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
तेरी यादें बजती रहती हैं घुंघरूओं की तरह,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ऑन लाइन पेमेंट
ऑन लाइन पेमेंट
Satish Srijan
Loading...