जिन्दगी के रिस्ते
रिश्तें जुड़े है एक नाजुक सी डोर से
खीचां जाता इसे कभी इस छोर से
तो कभी उस छोर से।
वर्ग पहेली सी जिन्दगी
दो दुनी चार मे उलझी है
सम्भाला जाता ह इसे कभी इस और तो कभी उस और से।।
एक दिन रिश्तो के मध्य आ गया अहम।
रिश्तों के बीच उलझे हर शक्स को भी हो गया वहम।।
अब अहम और वहम के बीच की जंग थी
लेकिन मेरी आत्मा रिश्तों के संग थी