जिन्दगी की परिभाषा
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जिन्दगी एक अभिलाषा है।
इसकी अलग-अलग परिभाषा है।
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जिन्दगी विधाता का दिया अद्भुत उपहार है।
कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है।
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जिन्दगी बहुत खूबसूरत है।
बस इसे महसूस करने की जरूरत है।
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जिन्दगी उस रब की रजा है।
जिसका अपना ही मजा है।
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जिन्दगी वक्त के साथ बदलती संस्कृति है।
मीठी-मीठी यादों की स्मृति है।
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जिन्दगी यथार्थों के अनुभवों का गाँव है।
कभी धूप तो कभी छाँव है।
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जिन्दगी लम्हों की खुली किताब है।
ख्यालों और साँसों का हिसाब है।
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जिन्दगी अनचाहे, अनजाने रंगों की तस्वीर है।
कभी बनती,कभी सँवरती अनजाना-सा तकदीर है।
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जिन्दगी एक रंगीन किताब है।
जिसका हर पन्ना लाजबाब है।
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जिन्दगी हर दिन लाता बहार है।
पीछे छूट जाता पुराना किरदार है।
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जिन्दगी एक एहसास है।
जो ना बुझे वो प्यास है।
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जिन्दगी एक फलसफा है।
जिससे हर किसी को गिला है।
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जिन्दगी पल-पल चलती है।
ना कभी रूकती,ना ठहरती है।
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जिन्दगी एक सफर है।
जिसकी ना कोई मंजिल ना डगर है।
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जिन्दगी ना इलाज मर्ज है।
टूटते ख्वाहिशों का दर्द है।
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जिन्दगी की यही रीत है।
कहीं हार तो कहीं जीत है।
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जिन्दगी बड़ी अजीब है।
कोई अमीर तो कोई गरीब है।
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जिन्दगी एक जुअा है।
ये एक अंधा कुंआँ है।
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जिन्दगी एक पहली है।
सुख-दुख इसकी सहेली है।
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जिन्दगी एक खेल है।
कोई पास कोई फेल है।
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जिन्दगी शतरंज का बिसात है।
कहीं शह तो कहीं मात है।
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कोई जिन्दगी के हर पल मुस्कुराके जीता है।
कोई जिन्दगी के हर लम्हा जहर-सा पीता है।
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जिन्दगी बहुत कुछ सिखाती है।
कभी हँसाती तो कभी रुलाती है।
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जिन्दगी पल-पल ढलती है।
जैसे रेत मुठ्ठी से फिसलती है।
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जिन्दगी जीने की कला है।
गम में मुस्कुराने का हौसला है।
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जिन्दगी की देना मुश्किल परिभाषा है।
कुछ पूरी, कुछ अधुरी-सी आशा है।
????—लक्ष्मी सिंह ??