जिनको कहते थे अपना, हुए सब हवा।
जीवन यात्रा – गीत
जिनको कहते थे अपना, हुए सब हवा।
अब नहीं कोई हमारा, तुम्हारे सिवा।
गर्व करते थे जिन पर, न झुकते नयन।
साथ जीवन में सब होंगे, भाई बहन।
ऐसा लगता था है,खिलखिलाता चमन।
जीने- मरने की लगते थे, हमको दवा।…1
कारवां एक बनाकर, था मैं जो चला।
सोचता था भला कर, तो होगा भला।
अन्त में मैंने जाना, गया मैं छला।
कारवां को उड़ाकर के, ले गयी हवा।…2
साथ रहकर भी सोचो, अकेला हूँ मैं।
सोचता था सभी संग, मेला हूँ मैं।
सोच सच या गलत, किन्तु झेला हूँ मैं।
अब तो मैं हूँ, मेरे संग, तुम हमनवा।…3
जिनको कहते थे अपना, हुए सब हवा।
अब नहीं कोई हमारा, तुम्हारे सिवा।
………✍️ प्रेमी
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