जिद
मुक्तक /
उनकी जिद है कि इंसान को परेशां कर दें।
चौक-चौराहों को बदरंग कर कूड़ा भर दें ।।
बीज अलगाव के बोकर उगा दें कंटक।
देश के सीने में चुपचाप घोंप खंजर दें ।।
जगदीश शर्मा सहज
मुक्तक /
उनकी जिद है कि इंसान को परेशां कर दें।
चौक-चौराहों को बदरंग कर कूड़ा भर दें ।।
बीज अलगाव के बोकर उगा दें कंटक।
देश के सीने में चुपचाप घोंप खंजर दें ।।
जगदीश शर्मा सहज