जिद
आज बादलों ने फिर साज़िश की है,
जँहा मेरा घर था वही बारिश की है।
अगर फलक को भी जिद हैं बिजलिया गिराने की,
तो मुझे भी जिद हैं वही आशियाँ बसाने की।।
आज बादलों ने फिर साज़िश की है,
जँहा मेरा घर था वही बारिश की है।
अगर फलक को भी जिद हैं बिजलिया गिराने की,
तो मुझे भी जिद हैं वही आशियाँ बसाने की।।