जिद ना करो
जिद न करो अब कह भी दो
जो बाते उस दिल में दबी हुई है
अभी बात इतनी भी बिगड़ी नहीं है
अभी दिल की चिंगारी बुझी भी नहीं है
अभी आस का दीपक जल ही रहा है
दिए की लौ इतनी कम भी नहीं है
जिद न करो अब कह भी दो
जो बाते उस दिल में दबी हुई है
जो तुमने सपने सजाये हुए थे
जो गीत मोहब्बत के गाये हुए थे
उन सपनो की तस्वीर धुली तो नहीं है
उन गीतों की रागिनी कंही भूली तो नही है
जिद न करो अब कह भी दो
जो बाते उस दिल में दबी हुई है
तुम्हे जो डर है जमाने का तो कह दो
पर जमाने को इतनी फिकर भी नहीं है
एक बात कहनी थी मुझको भी तुमसे
पर इस कहानी की गुत्थी सुलझी नहीं है
जिद न करो अब कह भी दो
जो बाते उस दिल में दबी हुयी है
डॉ एल के मिश्रा