जितनी बार निहारा उसको
जितनी बार निहारा उसको
उतनी बार नशे में डूबा
उसकी आंखें उसके जैसी
उसका चेहरा उसके जैसा
उसका जलवा अजब निराला
कहीं न देखा हमने वैसा
जिसको देखे घायल कर दे
उसका जाने क्या मंसूबा…
प्रेम अगन जब दिल तड़पाए
सांस चले धड़कन रुक जाए
तन निश्चेतन पड़ा रहे फिर
देर देर तक होश ना आए
जो भोगा वो कह न सकूंगा
प्रेम रोग है बड़ा अजूबा…
… शिवकुमार बिलगरामी