जितना हुआ हूँ ख़त्म मैं उतना अभी भी बाकी हूँ
जितना हुआ हूँ ख़त्म मैं उतना अभी भी बाकी हूँ
मैं किस सदी का खेल हूँ कब से नजाने जारी हूँ
मेरी कहानी की ख़बर शायद अज़ल को भी नहीं
कितना पुराना हूँ भला क्या वक़्त का मैं साथी हूँ
ये अक्स मेरा ख़ुद मुझे बिन कुछ कहे ही कह रहा
मैं भूल हूँ कोई बड़ी हारी हुई मैं बाज़ी हूँ
इस ज़िन्दगी ने चैन से मुझकों कहाँ सोने दिया
पर मौत ने आकर कहा सोजा मैं लोरी गाती हूँ
वो अब तलक़ लौटा नहीं जो ये गया था बोलकर
बस इक मिनट रुकना अभी मैं लौटकर आती हूँ
Johnny Ahmed क़ैस