जिंदगी
#ज़िंदगी
जाने तो महज़ एक बेकरारी है ज़िंदगी ,
बेहद है मोहब्बत बहुत प्यारी है ज़िंदगी !
ज्यूंँ मंथन किया तो उलझन भी सुलझ गई ,
सोचे तो लाचार और बेचारी है ज़िंदगी !
काँटों से रखना होगा यहाँ वास्ता हर पहर ,
कोमल फूलों के हार की क्यारी है ज़िंदगी !
खुला आसमान ,ये ब्रह्मांड भी कम पड़ता है
अकेले काटले तो चारदीवारी है ज़िंदगी !
रिश्ते यहाँ नाज़ुक तो कहीं काँच सरीखे ,
मिले दोस्त तो मस्ती की यारी है ज़िंदगी !
मन साफ़ व्यवहार में तो मुनाफा ही मुनाफा ,
फँस जाये लेन-देन में तो उधारी है ज़िंदगी !
मेहनत और लगन से ईमान रहता कायम है ,
किस्मत के दाँव-पेच में जुआरी है ज़िंदगी !
बरकरार रहे मिठास नहींतो खारी हो जाती है ,
तन्हा बेबस वक़्त हालात की मारी है ज़िंदगी !
पाई पाई को मोहताज कभी लगे लाचारी ,
महरुम है खुशियों से वहाँ भारी है ज़िंदगी !
सुख दुख सहते यूँ गुज़ारी ज़िंदगी ,
देते दोष किसको यहाँ तो हमारी है ज़िंदगी !!
कहानी अपनी अपनी लिखना सिखाती हैं जिंदगी ,
मगर कमबख्त किसी के समझ कहाँ आती हैं जिंदगी !!