जिंदगी
जिंदगी (पंचचामर छंद)
मिला अमूल्य दिव्य धाम जिंदगी सजाइए।
बिगाड़ना कभी नहीं सदा उसे सँवारिए।
सुखांत में दुखांत में रहे सदैव एकता।
सदैव तोष भावना अजेय दुर्ग अस्मिता।
उमंग की बहार हो अनित्यता नकारना।
सहर्ष नित्य स्तुत्य कृत्य को सदा पुकारना।
रहे सप्रेम कर्म क्षेत्र में रची बसी सदा।
निराश हो कभी नहीं विपत्ति से रहे जुदा।
डिगे नहीं सुपंथ से सुकर्म नित्य श्रेय हो।
बना रहे सदैव धैर्य धर्म मार्ग ध्येय हो।
अबीर रंग भस्म पोत वीर सा बढ़े चलो।
यही रहे स्व-भावना प्रभात फेरते चलो।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र,हरिहरपुर,वाराणसी-221405