*जिंदगी*
जिंदगी
जिंदगी का नाम
चलो उलझन रखते हैं
ना तुम सुलझे हुए
ना हम सुलझे हुए
चलो मिलकर दोनों उन्हें
सुलझाने का प्रयास करते हैं।
कदमों की सरसराहट से
जो आहट होती है
घबराहट भी मन में
उतनी ही तीव्र होती है
चलो इन खताओं को एक
अनजाना सा नाम देते हैं।
बड़ी बेतुकी सी लगती है जिंदगी
बड़े मायूस नज़ारे नज़र आते हैं
जिनकी खातिर बुने थे सपने
अब वो कहाँ ?
जमीं पर नज़र आते हैं।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)