जिंदगी
जिंदगी
मुड़-मुड़ के ना देख, इस कदर ऐ जिंदगी ! है ये दर्द जो हमारा, तुमने ही दिया है ।
तूं खुश न हो यूं देखकर, मेरे इन हालात को
पांवों में जो छाले पड़े, वो तुम ने ही दिया है ।
चिंता न कर तनिक भी, बस करिश्मा देख तूं पांव उठाने की भी हिम्मत, तुमने ही दिया है ।
जो भी दिया है दर्द तूंने, क़बूल मैंने कर लिया
महसूस तो होगा तुम्हें, क्या तुमने किया है !
न मैं परेशां हुआ, और न ही कभी रोया तुमसे
चल पड़ा, भुला दिया, क्या तुमने किया है ?
ज़िंदगी तूं साथ चल, ऐसे ही देखती रहो
‘मैं चलता रहूँ’, जज़्बा जो है, तुमने ही दिया है।
कदम ये जो उठ पड़े, चलते रहेंगे उम्र भर
चलने का भी ये हुनर, तुमसे ही मिला है ।
गम और खुशी में हर समय, यूं ही मेरे साथ रह तूं
होंगे फ़ना* हम साथ ही, यह तुम को भी पता है।
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-राजेन्द्र प्र गुप्ता,मौलिक/स्वरचित।
*फ़ना=पूर्ण विनाश ।