जिंदगी में
दर्द ही दर्द क्यो आया मेरी जिंदगी में,
रब बता क्या कमी थी तेरी बन्दगी में,
सुबह शाम तेरे दर पे मत्था टेका था,
फिर भी दर्द भरा बेदर्दी के जिन्दगी में,
दर्द ही दर्द क्यो आया मेरी जिंदगी में,
रब बता क्या कमी थी तेरी बन्दगी में,
सुबह शाम तेरे दर पे मत्था टेका था,
फिर भी दर्द भरा बेदर्दी के जिन्दगी में,