जिंदगी में उसका बेड़ा पार है।
मुक्तक
2122…….2122…….212
जिंदगी में उसका बेड़ा पार है।
हाथ मे जिसके रही पतवार है।
नाव अपनी गैर खेवनहार हो,
ढूबता भी बस वही मझधार है।
…….✍️ प्रेमी
मुक्तक
2122…….2122…….212
जिंदगी में उसका बेड़ा पार है।
हाथ मे जिसके रही पतवार है।
नाव अपनी गैर खेवनहार हो,
ढूबता भी बस वही मझधार है।
…….✍️ प्रेमी