जिंदगी भी हवालात जैसी लगी
दो घड़ी की मुलाकात ऐसी लगी
पूछिए न ये हमसे कि कैसी लगी
फर्ज की बेड़ियों ने यूँ बाँधा हमें
जिंदगी भी हवालात जैसी लगी
दो घड़ी की मुलाकात ऐसी लगी
पूछिए न ये हमसे कि कैसी लगी
फर्ज की बेड़ियों ने यूँ बाँधा हमें
जिंदगी भी हवालात जैसी लगी