जिंदगी तेरे हंसी रंग
जिंदगी तेरे हंसी रंग
मुझको लुभाने लगे है
रूठ- रूठ कर भी जब
अपने मुझको मनाने लगे हैं।
एक नई उमंग सी
भरने लगी है जिंदगी में
कुछ अफसाने रह -रह
के याद आने लगे हैं।
मुकद्दर में तू नहीं तो क्या हुआ !
ख्वाहिशों की झोली में
ख्वाब तेरे सजाने लगे है।
पल भर में पलट जाती है किस्मत
अगर मेहनत का जज्बा हो
जिक्र नहीं करते हम तेरा
पर तुझे लकीरों में ढूंढने लगे हैं।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)