तंग जिंदगी
बनी हमारी जिन्दगी,बड़ी भयानक जंग।
किस्मत ने लूटा हमें, जैसे कटी पतंग।। १
अधरों पर मुस्कान है, मगर जिंदगी तंग।
कदम पर कदम पर चल रही, एक मुसीबत संग।। २
जब सोती हूँ रात में,डर से काँपे अंग ।
ऐसा लगता है हमें, छोटी बहुत पलंग। ३
पता नहीं है मौत की,छू कर जाती अंग।
बार-बार दस्तक दिया,करे ज़िन्दगी तंग।।४
बहुत अकेली हो गई,रहा न कोई संग।
पर दुनिया कहने लगी, मैं हूँ मस्त मलंग।।५
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली