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8 Jan 2024 · 1 min read

जिंदगी जी कुछ अपनों में…

जिंदगी जी कुछ अपनों में…
तो कुछ अपने रूठ गए,

अब क्या शिकवा करें उनसे…

तोड़ा और सिद्दत के साथ चाहत दिखाते…
तो हम तुम्हारी महफिल में नज़र नही आते।

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