जिंदगी – चौराहे – दृष्टि भ्रम
लोग कहते हैं की जिंदगी
चौराहे पर खड़ी है
उधेड़ बुन ऐसी – की
जाएँ तो किधर जाएँ
यह कैसा दृष्टि भ्रम है !?!
नजर का फेर है ‘
नजरिया ही फेर लें
तो यह एहसास भी होगा
चारों दिशाओं को जोड़ती हैं
चौराहें –
बस जिंदगी को
समेटने की जरूरत है !!