जिंदगी गवाह हैं।
जिंदगी गवाह हैं।
न नफ़रत चाहिए, ना ,मोहब्बत चाहिए।
इससे परे वह आसमां चाहिए।
जिसमें जी उठे ( द्वैत) द्वंद्व भरा जीवन।
ना न, नफ़रत चाहिए ना, मोहब्बत चाहिए।
वो होश, सुकून खोज पल चाहिए।
ना, नफ़रत चाहिए, ना,मोहब्बत चाहिए।
जिंदगी गवाह है, दोनों में बर्बाद हुए हैं।-
-डॉ . सीमा कुमारी।26-9-024की स्वरचित रचना है मेरी।