जिंदगी की परीक्षा
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ना जाने क्यों एक बिटिया का पिता अपनी सामर्थय से ज्यादा बिटिया के विवाहोत्सव में खर्च करता है ,यह जानते हुए भी की किसी न किसी बात पर वर पक्ष का ताना या नाराजगी भरा व्यंग झेलना ही है,…क्या अजीब रीत है जहाँ देनदार जिसने अपने जिगर के टुकड़े तक को सौंप दिया वो हाथ जोड़े गर्दन झुकाये खड़ा रहता है और लेनदार झूटी शान के साथ अकड़ी हुई गर्दन के साथ …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जीवन में एक ऐसा समय भी आता है जब किसी से भी उलझने /बहस -वाद विवाद का या अपना पक्ष भी रखने का मन नहीं करता ,अच्छा भई मैं गलत तुम सही बोल कर मौन होने का मन करता है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हर सम्बन्ध में ख़ास कर रिश्तों में -अपनों में समझने की जरुरत होती है परन्तु अधिकांशतः देखने में आता है की लोग बाग़ समझना तो नहीं के बराबर चाहते हैं परन्तु परखना सब चाहते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की ख़राब दौर में हमेशा ये भ्र्म रहता है की ना जाने क्यों ईश्वर ने हमारी तरफ से निगाहें फेर ली हैं ,सुन क्यों नहीं रहा है वो ,पर हम हमेशा एक बात भूल जाते हैं की हर परीक्षा में शिक्षक केवल मौन होकर हाथ बाँध कर इधर से उधर घूमते और ये देखते रहते हैं की कहीं आप कुछ गलत तो नहीं कर रहे और सबसे बड़ी बात की आप अपनी परीक्षा किस तरह से दे रहे हैं और फिर यहाँ तो जिंदगी की परीक्षा है जहाँ शिक्षक स्वयं परमपिता हैं …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान