**जिंदगी की टूटी लड़ी है**
**जिंदगी की टूटी लड़ी है**
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आ गई ये मुश्किल घड़ी है,
जिंदगी की टूटी लड़ी है।
क्या करें वश चलता नहीं हैँ,
आँसुओं की आई झड़ी है।
ना समझ कुछ भी न आए,
बात उनकी हद से बड़ी है।
ये हवा जो शीतल चली है,
प्यार के आगे की कड़ी है।
क्यां करूँ मनसीरत बताए,
मौत बनकर सामने खड़ी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)