जिंदगी का सफ़र
कोई छिड़कता है जख्मों पर नमक ll
कोई उनका मरहम बन जाता है ll
कोई छोड़ देता है बीच राह हाथ ll
कोई मरते दम तक साथ निभाता है ll
कोई उडाता है मजाक जज्बातों का ll
कोई ख़ामोशी भी समझ जाता है ll
कोई अपना होकर भी अपना नही बन पता ll
कोई पराया होकर भी अपना बन जाता ll
✍️ Shubham Anand Manmeet