जिंदगी और उलझनें, सॅंग सॅंग चलेंगी दोस्तों।
मुक्तक- उलझनें
जिंदगी और उलझनें, सॅंग सॅंग चलेंगी दोस्तों।
इनको सुलझाया,नहीं सुलझी कभी भी दोस्तो।
कुछ चुरा लो मस्तियां,गर चे कहीं मिल जाऍं ये,
जिंदगी की उलझनें, उलझी रहेंगी दोस्तों।
…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी