जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
उड़ती थी जो तितलियां, एक बक्से में आ गई है
छत की मुंडेर पर भी, घुट रहा है दम
आंख मेरी फूट गई है, होंठ मेरे हिल रहे हैं
सांस मेरी चल रही है, जहान मेरा मर गया है
सबको वहम है कि, मैं अहम जी रहा हूं